महाविद्यालय : एक परिचय
जनपद बदायूँ के नगर बिल्सी में उच्च शिक्षा के अभाव की पूर्ति के लिए उत्तर प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 1996 में एक राजकीय महाविद्यालय की स्थापना का निर्णय लिया गया और राजाज्ञा सं0 1978/15-17-96-70 (61)/96 लखनऊ दिनांक 19.06.1996 में जारी की गयी। जनपद मुख्यालय से दक्षिण-पश्चिम में 29 कि0मी0 तथा बरेली मण्डल मुख्यालय से 73 कि0मी0 दूर बिल्सी प्राचीन एवम् वाणिज्यिक दृष्टि से समृद्ध नगरी है। इसके निकटतम रेलवे स्टेशन उझानी तथा बितरोई हैं। इस महाविद्यालय के नाम में शासन ने अपने आदेश उच्च शिक्षा अनुभाग-5, संख्या 2582/70-5-99-40 (13) 97 दिनांक 27.10.1999 के द्वारा ‘‘महाराणा प्रताप’’ जोड़कर भारत-भूमि के वीर योद्धा व परम स्वाभिमानी की स्मृति ताजा कर दी। इस महाविद्यालय की स्थापना हेतु जिला पंचायत बदायूँ ने अपनी पूर्ववर्ती जूनियर हाई-स्कूल की 3.427 एकड़ भूमि उत्तर प्रदेश शासन के उच्च-शिक्षा विभाग को 30 वर्ष के लिए पट्टे पर दी हुई है जिसके परिसर सं0 1 में वर्ष 1999 में महाविद्यालय का भवन निर्मित हुआ और इस भवन का उद्ाघाटन तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री जी द्वारा दिनांक 24.05.1999 को विधिवत् रूप में किया गया। उ0प्र0 शासन ने राजाज्ञा सं0 760/सत्तर-5-2010-41(10)/98 लखनऊ दिनांक 21 जुलाई 2010 द्वारा बी0ए0 (हिन्दी, अंग्रेजी, इतिहास, समाजशास्त्र, राजनीति विज्ञान तथा अर्थशास्त्र) पाठ्यक्रमों /विषयों में स्थायी मान्यता प्रदान कर दी है। शासन ने ही वर्ष 2007 में कला संकाय में हिन्दी, समाजशास्त्र व राजनीति शास्त्र विषयों में स्नातकोत्तर कक्षायें प्रारम्भ करने की अनुमति दी। जो उ0प्र0 शासन के राजाज्ञा सं0 759/सत्तर-5-2010-41(10)/98 टीसी-1 लखनऊ दिनांक 03 अगस्त 2010 द्वारा एम0ए0 में स्थायी मान्यता प्रदान कर दी है। महात्मा ज्योतिबा फुले रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय बरेली से सम्बद्ध, स्नातक स्तर पर इस महाविद्यालय में कला संकाय में छात्र/छात्राओं को हिन्दी, अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र इतिहास, पर्यावरण विज्ञान व शारीरिक शिक्षा के अध्यापन की व्यवस्था उत्तर प्रदेश शासन द्वारा की गयी है। प्रौद्यौगिकी के इस युग में कम्प्यूटर-विज्ञान की जानकारी हेतु उत्तर प्रदेश शासन द्वारा महाविद्यालय को एक कम्प्यूटर प्रणाली भी उपलब्ध करायी गई है। इस महाविद्यालय का उद्देश्य पिछड़़े हुए अंचल के सुदूरवर्ती क्षेत्रों के छात्र/छात्राओं को शैक्षणिक ज्ञान प्रदान करने के अतिरिक्त बहुआयामी शिक्षणेत्तर कार्यकलापों के क्षेत्रों में विकसित करना है इसमें अनौपचारिक व रोजगार परक शिक्षा भी शामिल है तभी उच्च शिक्षा सामाजिक तथा व्यावहारिक धरातल पर उनके लिए अधिक उपयोग बन सकती है। इन सभी उद्देश्यों की पूर्ति में यह महाविद्यालय तत्परता पूर्वक समर्पित है।